समकालीन हिंदी उपन्यासों में किसान विमर्श : सामाजिक परिवर्तन और भूमंडलीकरण के परिप्रेक्ष्य में

ShodhPatra: International Journal of Science and Humanities

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Open Access, Multidisciplinary, Peer-reviewed, Monthly Journal

Call For Paper - Volume: 2, Issue: 9, September 2025

DOI: 10.70558/SPIJSH

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Article Title

समकालीन हिंदी उपन्यासों में किसान विमर्श : सामाजिक परिवर्तन और भूमंडलीकरण के परिप्रेक्ष्य में

Author(s) मनोज कुमार शर्मा.
Country India
Abstract

प्रस्तुत शोध पत्र में भारतीय किसान और ग्रामीण जीवन पर भूमण्डलीकरण के प्रभावों का विश्लेषणात्मक अध्ययन किया गया है। भूमण्डलीकरण ने ग्रामीण समाज की पारंपरिक संरचना और सांस्कृतिक पहचान पर गहरा असर डाला है जिसे विभिन्न उपन्यासकारों ने यथार्थ स्वरूप में चित्रित किया है। ग्रामीण जीवन पर आधारित उपन्यासों में भारतीय किसानों की दयनीय स्थिति, गरीबी, ऋणग्रस्तता और अन्य समस्याओं का सजीव चित्रण किया गया है। इन उपन्यासों में किसान जीवन के संघर्ष, अकाल, कृषि उत्पादन की अनिश्चितता और बदलती व्यवस्था के प्रभाव को उजागर किया गया है जिससे किसानों को निरंतर संकटों का सामना करना पड़ रहा है। इन उपन्यासों में किसान जीवन की चुनौतियाँ, उनकी सामाजिक-सांस्कृतिक पहचान और भूमण्डलीकरण के कारण बदलते ग्रामीण परिवेश को गहनता से चित्रित किया गया है।

Area Hindi
Issue Volume 2, Issue 8, August 2025
Published 26-08-2025
How to Cite शर्मा, . . (2025). समकालीन हिंदी उपन्यासों में किसान विमर्श : सामाजिक परिवर्तन और भूमंडलीकरण के परिप्रेक्ष्य में. ShodhPatra: International Journal of Science and Humanities, 2(8), 109-112, DOI: https://doi.org/10.70558/SPIJSH.2025.v2.i8.45286.
DOI 10.70558/SPIJSH.2025.v2.i8.45286

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