संयुक्त प्रान्त में तिलक के होमरुल लीग आन्दोलन का महत्व

ShodhPatra: International Journal of Science and Humanities

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Open Access, Multidisciplinary, Peer-reviewed, Monthly Journal

Call For Paper - Volume: 2, Issue: 4, April 2025

DOI: 10.70558/SPIJSH

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Impact Factor: 6.54

Article Title

संयुक्त प्रान्त में तिलक के होमरुल लीग आन्दोलन का महत्व

Author(s) Sanjesh Kumar Mourya.
Country India
Abstract

लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के अनुसार, “राष्ट्रवाद एक ऐसा विचार है जो लोगों के भीतर उत्पन्न होने वाली प्रक्रिया के माध्यम से अनुभव किया जा सकता है, लेकिन इसे प्रत्यक्ष रूप से देखा नहीं जा सकता।” रामायण और राष्ट्रवाद की अवधारणाएँ समाज में भलाई और नैतिक उत्थान की प्रेरणा देने की शक्ति रखती हैं। इन दोनों विचारधाराओं का आत्मसात करना इस कारण भी प्रासंगिक है कि ये समाज में एकता और सामाजिक कल्याण की भावना उत्पन्न करती हैं। इस शोध-पत्र में, शोधकर्ता ने होमरूल लीग आंदोलन के तथ्यों को उजागर करने और उसमें लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के योगदान को विशद रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। तिलक भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रखर नेता और भारत माता के गौरवशाली पुत्र के रूप में जाने जाते हैं। ब्रिटिश शासन से पूर्व, भारत अनेक राजाओं के अधीन विविधता, धर्मों, भाषाओं, क्षेत्रों, लिपियों और संस्कृतियों से समृद्ध था, जो राष्ट्र की सुंदरता और गरिमा को बढ़ाते थे। लेकिन ब्रिटिश शासन के आगमन के साथ ही देश की आर्थिक और सांस्कृतिक धरोहर क्षीण हो गई और स्वतंत्रता छिन गई। इस अध्ययन के माध्यम से शोधकर्ता ने तिलक के नेतृत्व में होमरूल लीग आंदोलन के विकास और उसके महत्व को विस्तार से वर्णित किया है। विविध दृष्टिकोणों और ऐतिहासिक साक्ष्यों के आधार पर यह स्पष्ट होता है कि तिलक ने राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम में एक सशक्त नेतृत्व स्थापित किया। उनकी दूरदर्शिता और कार्यों ने न केवल स्वतंत्रता की चाह को प्रबल किया, बल्कि उन्होंने देशवासियों में एकता, राष्ट्रवाद और स्व-शासन की भावना को जागृत करने का भी महत्वपूर्ण कार्य किया।

Area History
Issue Volume 1, Issue 10, October 2024
Published 18-10-2024
How to Cite Mourya, S. K. (2024). संयुक्त प्रान्त में तिलक के होमरुल लीग आन्दोलन का महत्व. ShodhPatra: International Journal of Science and Humanities, 1(10), 53-60, DOI: https://doi.org/10.70558/SPIJSH.2024.v01.i10.24104.
DOI 10.70558/SPIJSH.2024.v01.i10.24104

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