ग्रामीण विकास में कृषि ऋण सहकारी एवं गैर ऋण सहकारी समितियों के योगदान का विश्लेषणात्मक अध्ययन

ShodhPatra: International Journal of Science and Humanities (SPIJSH)

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Open Access, Multidisciplinary, Peer-reviewed, Monthly Journal

Call For Paper - Volume: 1, Issue: 12, December 2024

DOI: 10.70558/SPIJSH

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Article Title

ग्रामीण विकास में कृषि ऋण सहकारी एवं गैर ऋण सहकारी समितियों के योगदान का विश्लेषणात्मक अध्ययन

Author(s) दुष्यन्त कुमार, कु. रंजना.
Country India
Abstract

ग्रामीण ऋण सहकारी समितियों का अस्तित्व वास्तव में एक संस्थागत प्रणाली के रूप में हुआ ताकि किसानों को किफायती लागत पर ऋण उपलब्ध कराया जा सके और ग्रामीण ऋणग्रस्तता एवं गरीबी इन दो मुद्दों का समाधान किया जा सके। अपने आउटरीच एवं कारोबार की मात्रा में उल्लेखनीय वृद्धि की बदौलत ग्रामीण ऋण सहकारी समितियों का ग्रामीण ऋण वितरण व्यवस्था में एक विशिष्ट स्थान है। अल्प एवं दीर्घ-कालिक ऋणों के जरिए वे ग्रामीण क्षेत्रों में लाभप्रदता को बढ़ाने, खाद्य सुरक्षा उपलब्ध कराने, रोजगार अवसर का निर्माण करने एवं गरीब और कमजोर लोगों के लिए सामाजिक तथा आर्थिक न्याय सुनिश्चित कराने के लिए ऋण वितरण के माध्यम से महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करते आ रहे हैं। कई समितियों ने कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास के लिए सहकारी ऋण समितियों की प्रासंगिकता और महत्व पर जोर दिया है, जो कि ग्रामीण विकास में अग्रणी भूमिका निभा रही है।

Area Economics
Published In Volume 1, Issue 10, October 2024
Published On 31-10-2024
Cite This कुमार, ., & रंजना, . (2024). ग्रामीण विकास में कृषि ऋण सहकारी एवं गैर ऋण सहकारी समितियों के योगदान का विश्लेषणात्मक अध्ययन. ShodhPatra: International Journal of Science and Humanities, 1(10), pp. 130-139, DOI: https://doi.org/10.70558/SPIJSH.2024.v01.i10.24114.
DOI 10.70558/SPIJSH.2024.v01.i10.24114

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