वसीयतनामा कहानी में वृद्ध के जीवन का संघर्ष

ShodhPatra: International Journal of Science and Humanities

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Open Access, Multidisciplinary, Peer-reviewed, Monthly Journal

Call For Paper - Volume: 2, Issue: 9, September 2025

DOI: 10.70558/SPIJSH

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Article Title

वसीयतनामा कहानी में वृद्ध के जीवन का संघर्ष

Author(s) Dr. P. M. Bhumare.
Country India
Abstract

‘वसीयतनामा’ यह कहानी वृद्धों के प्रति हुए अन्याय, अत्याचार को अभिव्यक्त करती है।परिवारों के द्वारा ही वृद्धों का आर्थिक, सामाजिक, भावना के स्तर पर जो शोषण हो रहा है। उससे वृद्धों के सम्मानित जीवन जीने में ठेस पहुंचती है । इस कहानी के वल्लभदास जो वृद्ध हो चुके है।उनके नाम की संपत्ति दोनों बेटे आपस में बांटकर वसीयतनामा अपने नाम लिखना चाहते है।परंतु वल्लभदास जब-बीमार हो जाते है तब-तब उनके बेटों, बहुओं के द्वारा किसी भी प्रकार की सहायता नहीं की जाती ,उन्हें केवल पिता की वसीयत से लेना-देना है। अंत में दोनों बेटे होकर भी वल्लभदास की अंत्येष्टि क्रिया डॉ रितेश द्वारा की जाती है।डॉक्टर का वल्लभदास से खून का रिश्ता नहीं है।ऐसे करुणामय परिस्थितिजन्य परिवेश में कहानी का अंत होता है।

Area Hindi
Issue Volume 2, Issue 2, February 2025
Published 21-02-2025
How to Cite Bhumare, P. M. (2025). वसीयतनामा कहानी में वृद्ध के जीवन का संघर्ष. ShodhPatra: International Journal of Science and Humanities, 2(2), 37-40, DOI: https://doi.org/10.70558/SPIJSH.2025.v2.i2.45125.
DOI 10.70558/SPIJSH.2025.v2.i2.45125

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