Article Title |
बिहार में कुपोषण की समस्या को दूर करने में आंगनवाड़ी कार्यक्रम की भूमिका |
Author(s) | Dr. Jay Rani . |
Country | India |
Abstract |
बिहार में कुपोषण एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है, विशेषकर पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों में, जहाँ 43% बच्चे ठिगने (stunted), 23% दुबले (wasted) और 41% कम वजन वाले (underweight) हैं। इस चुनौती से निपटने के लिए भारत सरकार द्वारा 1975 में एकीकृत बाल विकास सेवा (ICDS) कार्यक्रम की शुरुआत की गई, जिसके अंतर्गत आंगनवाड़ी केंद्रों की स्थापना की गई। ये केंद्र बच्चों, गर्भवती महिलाओं और धात्री माताओं को पूरक पोषण, स्वास्थ्य जांच, टीकाकरण, और पूर्व-विद्यालयी शिक्षा जैसी सेवाएँ प्रदान करते हैं। यह शोध पत्र बिहार में कुपोषण की वर्तमान स्थिति का विश्लेषण करता है और आंगनवाड़ी कार्यक्रम की भूमिका एवं प्रभाव का समीक्षात्मक अध्ययन प्रस्तुत करता है। शोध में पाया गया कि आंगनवाड़ी केंद्रों के माध्यम से कुपोषण में कमी लाने की दिशा में कुछ सकारात्मक संकेत मिले हैं, जैसे कि पूरक पोषण आहार से बच्चों की वृद्धि में सुधार और समुदाय में स्वास्थ्य जागरूकता में वृद्धि। हालांकि, कार्यक्रम की प्रभावशीलता को सीमित करने वाले कई कारक भी सामने आए हैं, जैसे कि आधारभूत संरचना की कमी, प्रशिक्षित कर्मियों की अनुपलब्धता, समय पर सामग्री की आपूर्ति में बाधाएँ, और कार्यकर्ताओं की कम पारिश्रमिक। शोध में कुछ सफल प्रयासों और नवाचारों का भी उल्लेख किया गया है, जैसे कि गया जिले की "संपूर्ण पोषण पंचायत" पहल और वैशाली जिले में मोबाइल आधारित निगरानी प्रणाली, जिन्होंने कुपोषण में कमी लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इन प्रयासों से यह स्पष्ट होता है कि यदि योजनाओं को स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप अनुकूलित किया जाए और विभिन्न विभागों, समुदाय और नीति-निर्माताओं के बीच बेहतर समन्वय स्थापित किया जाए, तो कुपोषण की दर में उल्लेखनीय कमी लाई जा सकती है। |
Area | Home Science |
Issue | Volume 2, Issue 4, April 2025 |
Published | 25-04-2025 |
How to Cite | , J. R. (2025). बिहार में कुपोषण की समस्या को दूर करने में आंगनवाड़ी कार्यक्रम की भूमिका. ShodhPatra: International Journal of Science and Humanities, 2(4), 62-71, DOI: https://doi.org/10.70558/SPIJSH.2025.v2.i4.45170. |
DOI | 10.70558/SPIJSH.2025.v2.i4.45170 |