Article Title |
जम्मू-कश्मीर राज्य पुनर्गठन का सामरिक विश्लेषण |
Author(s) | डॉ० अमित सिंह. |
Country | India |
Abstract |
05 अगस्त 2019 का दिन भारतीय इतिहास का वह स्वर्णिम दिन है जब भारत-सरकार ने एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए ना केवल जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को धारा 35-ए सहित समाप्त कर दिया बल्कि उसी दिन भारतीय संसद के माध्यम से ‘जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019’ का पर्दार्पण कर चीन-पाक गठजोड़ सहित सम्पूर्ण विश्व-राजनीति में अप्रत्याशित उथल-पुथल मचा दी । वैसे तो कश्मीर का गौरवशाली इतिहास हजारों वर्ष पुराना है लेकिन 1947 में हुए भारत-पाक विभाजन के फलस्वरूप उत्पन्न ‘कश्मीर समस्या’ ने पिछले 74 सालों में इस इतिहास को इतना रक्त-रंजित और धूमिल कर दिया है कि भारत-पाकिस्तान संबन्धित इस समस्या को सयुंक्त राष्ट्र संघ द्वारा विश्व के जटिलतम भू-भागीय विवादों की श्रेणी में रखा गया है । हालाँकि भारतीय गणराज्य द्वारा आधिकारिक रूप से इस कूटनीतिक पहल को राज्य के विकास हेतु किया गया अपना आंतरिक मामला बताया जा रहा है लेकिन रक्षा-विशेषज्ञों का मानना है कि भारत सरकार ने इस अधिनियम के माध्यम से कश्मीर घाटी में सक्रिय आंतरिक अलगाव-वादियों के साथ ही साथ पाकिस्तान और चीन जैसे पड़ोसियों को भी यह स्पष्ट सन्देश दे दिया है कि भारत कश्मीर में होने वाली किसी भी विस्तारवादी घुसपैठ और सैन्य-प्रदर्शन से भयभीत होने वाला नहीं है और वह अपनी क्षेत्रीय अखंडता एवं प्रभुसत्ता को अक्षुण्य बनाए रखने में पूर्णत: सक्षम है । बेशक भारत द्वारा पारित इस अधिनियम ने कश्मीर-समस्या की जटिलताओं को एक नया स्वरूप प्रदान किया है और भारत की आंतरिक राजनीति के अलावा उसकी विदेश-नीति को भी व्यापक रूप से प्रभावित किया है अतः आने वाले काल-खण्ड में भारत के सामरिक संदर्भ में इससे होने वाले लाभ के साथ ही हानियों की संभावनाओं का मूल्यांकन भी किया जाना चाहिये । |
Area | Defence |
Issue | Volume 2, Issue 5, May 2025 |
Published | 30-05-2025 |
How to Cite | सिंह, . . (2025). जम्मू-कश्मीर राज्य पुनर्गठन का सामरिक विश्लेषण. ShodhPatra: International Journal of Science and Humanities, 2(5), 148-152, DOI: https://doi.org/10.70558/SPIJSH.2025.v2.i5.45195. |
DOI | 10.70558/SPIJSH.2025.v2.i5.45195 |